Internet kya hai in hindi | E-Academy with Vishal Sir

परिचय (Introduction)

कोई नेटवर्क एक से अधिक बिन्दुओंवस्तुओं या व्यक्तियों को आपस में इस प्रकार जोड़ता है कि उनमें से प्रत्येक किसी दूसरे के साथ सीधा सम्बन्ध बना सके । प्रत्येक नेटवर्क का एक निश्चित उद्देश्य होता है 

कम्प्यूटर नेटवर्क से हमारा तात्पर्य आस-पास या दूर बिखरे हुए कम्प्यूटरों को इस प्रकार जोड़ने से है कि उनमें से प्रत्येक कम्प्यूटरकिसी दूसरे कम्प्यूटर के साथ स्वतन्त्र रूप से सम्पर्क बनाकर सूचनाओं या सन्देशों का आदान-प्रदान कर सके और एक-दूसरे के साधनों तथा सुविधाओं को साझा (Share) कर सके I

कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network)

किसी नेटवर्क में डेटा के ट्रान्सफर की मूल तकनीक को पैकेट स्विचिंग (Packet Switching) कहा जाता है । किसी उपयोगकर्ता (User) द्वारा भेजे जाने वाले डेटा, जिसे प्रायः सन्देश (Message) कहा जाता है, को कुछ छोटी इकाइयों में तोड़ा जाता है, जिन्हें पैकेंट (Packet) : कहते हैं । प्रत्येक पैकेट को अलग-अलग मानकर किसी निश्चित पते (Address) पर नेटवर्क के माध्यम से भेजा जाता है । इन पैकेटों को तब तक एक Packet Switching Exchange (PSE) से दूसरे एक्सचेन्ज तक भेजा जाता रहता है, जब तक कि वे अपने निश्चित गन्तव्य (Destination) तक न पहुँच जाएँ । प्रत्येक एक्सचेन्ज में पैकेटों की जाँच की जाती है और फिर आगे भेज दिया जाता है । कम्प्यूटर नेटवर्क में जुड़े हुए कम्प्यूटरों की विशेषता के आधार पर इन्हें दो रूपों में विभाजित किया जा सकता है ।

सजातीय नेटवर्क (Homogeneous Network)

सजातीय नेटवर्क समान कॉन्फिगरेशन (Configuration) तथा प्रोटोकॉल वाले कम्प्यूटरों से मिलकर बना होता है । उदाहरण के लिए, (LAN) एक प्रकार का सजातीय नेटवर्क है ।

विजातीय नेटवर्क (Heterogeneous Network) 

विजातीय नेटवर्क भिन्न-भिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम तथा प्रोटोकॉल वाले कम्प्यूटरों से मिलकर बना होता है । उदाहरण के लिए, (WAN) एक प्रकार का विजातीय नेटवर्क है ।

Computer Network
Computer Network


नेटवर्किंग के लाभ (Advantages of Networking)

नेटवर्किंग के लाभ निम्नलिखित हैं-

1. साधन साझा करना (Sharing Resources)

नेटवर्क के किसी भी कम्प्यूटर से जुड़े हुए साधन (Resource) का उपयोग नेटवर्क के अन्य कम्प्यूटरों पर कार्य करते हुए कर सकते हैं । उदाहरण, यदि किसी कम्प्यूटर के साथ लेज़र प्रिण्टर जुड़ा हआ है, तो नेटवर्क के अन्य कम्प्यूटरों से उस प्रिण्टर के द्वारा कोई भी डेटा प्रिण्ट किया जा सकता है ।

2. डेटा का तीव्र सम्प्रेषण (Speedy Transmission of Data) 

कम्प्यूटर नेटवर्किंग से दो कम्प्यूटरों के मध्य डेटा का आदान-प्रदान तीव्र तथा सुरक्षित रूप से होता है । इससे कार्य की गति तीव्र होती है और समय की बचत होती है ।

3. विश्वसनीयता (Reliability)

नेटवर्किंग में किसी फाइल की दो-या-दो से अधिक कॉपियाँ अलग-अलग कम्प्यूटरों पर स्टोर की जा सकती हैं । यदि किसी कारणवश एक कम्प्यूटर खराब या असफल हो जाता है, तो वह डेटा दूसरे कम्प्यूटरों से प्राप्त किया जा सकता है । इस प्रकार नेटवर्क के कम्प्यूटर एक-दूसरे के लिए बैकअप का कार्य भी कर सकते हैं, जिससे उनकी विश्वसनीयता बढ़ती है ।

नेटवर्क की आवश्यकताएँ एवं अनुप्रयोग (Necessities and Applications of Network)

नेटवर्क की प्रमुख आवश्यकताएँ एवं अनुप्रयोग निम्न हैं

1. फैक्स (Fax)

नेटवर्क की सहायता से आप नेटवर्क से जुड़े किसी भी कम्प्यूटर पर फैक्स भेज सकते हैं । इसके लिए फैक्स भेजने व प्राप्त करने वाले कम्प्यूटरों पर फैक्स सॉफ्टवेयर होना आवश्यक होता है ।


2. ऑनलाइन ट्रेडिंग (Online Trading)

नेटवर्क के माध्यम से कोई भी यूजर ऑनलाइन ट्रेडिंग कर सकता है अर्थात् कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से घर बैठे-बैठे क्रय-विक्रय किया जा सकता है ।

3. -मेल (E-mail)

ई-मेल के द्वारा कम्युनिकेशन काफी सरल हो जाता है । यदि एक संस्थान (Organization) के सभी कम्प्यूटर्स, नेटवर्क से जुड़े हों, तो सभी यूजर्स ई-मेल के माध्यम से कम्युनिकेट कर सकते हैं । 

4. गेम खेलना (Playing Game)

विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर स्थित यूजर्स नेटवर्क के द्वारा मल्टीयजर गेमों में भाग ले सकते हैं । 

5. बैंकिंग (Banking)

बैंकिंग में भी नेटवर्क की बहत आवश्यकता है । यूजर ATM की सहायता से देश के किसी भी कोने से अपने बैंक अकाउण्ट से पैसे निकाल सकता है । 

6. दूर स्थित डेटाबेसों को एक्सेस करना (Accessing Remote Databases)

यूजर कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से नेटवर्क में जड़े किसी भी कम्प्यूटर पर उपलब्ध डेटाबेस को एक्सेस कर सकता है ।

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कम्प्यूटर नेटवर्क के अवयव (Components of Computer Network)

कोई कम्प्यूटर नेटवर्क विभिन्न तत्वों या अवयवों का समूह होता है । इनमें से कुछ प्रमुख अवयवों का विवरण निम्नलिखित है I

सर्वर Server

यह नेटवर्क का सबसे प्रमुख अथवा केन्द्रीय कम्प्यूटर होता है। नेटवर्क के अन्य सभी कम्प्यूटर्स सर्वर से जुड़े होते हैं। सर्वर क्षमता और गति की दृष्टि से अन्य सभी कम्प्यूटरों से श्रेष्ठ होता है और प्रायः नेटवर्क का अधिकांश अथवा समस्त डेटा सर्वर पर ही रखा जाता है। सर्वर कई प्रकार के हो सकते हैं; जैसे

1. फाइल सर्वर (File Server)

यह सर्वर किसी नेटवर्क की फाइलों को मैनेज करता है। ये फाइलें उस सर्वर से जुड़े हुए स्टोरेज मीडियम जैसेहार्ड डिस्क में स्टोर की जाती हैं और किसी क्लाइण्ट (Client) को उसकी आवश्यकतानुसार उपलब्ध कराई जाती हैं । सभी फाइलों को एक ही केन्द्रीय स्थान पर स्टोर करने के कारण डेटा सुरक्षित रहता है तथा बैकअप लेना सरल हो जाता है ।

2. प्रिण्ट सर्वर (Print Server)

यह सर्वर किसी नेटवर्क की फाइलों को नेटवर्क के किसी प्रिण्टर द्वारा प्रिण्ट कराने की सविधा देता है। प्रिण्ट सर्वर पर जब कोई भी यूजर कार्य करता है, तो वह सर्वर की प्रिण्ट क्यू (Queue) से जुड़ जाता है और फिर सर्वर प्रत्येक यूजर को क्रमानुसार प्रिण्टर उपलब्ध कराता है। प्रिण्ट सर्वर इस बात का भी ध्यान रखता है कि किस समय कौन-सा प्रिण्टर व्यस्त (Busy) है और कौन-सा फ्री (Free) |

3. मेल सर्वर (Mail Server)

यह सर्वर नेटवर्क के विभिन्न नोडों (Nodes) के बीच इलेक्ट्रॉनिक सन्देशों के र आदान-प्रदान के लिए उत्तरदायी होता है। इसकी सहायता से कोई एक सन्देश, नेटवर्क के सभी क्लाइण्टों को एकसाथ भेजा जा सकता है, जिसे बॉडकास्टिंग (Broadcasting) कहते हैं ।

Diagram-of-a-computer-network with E-Academy
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4. डेटाबेस सर्वर (Database Server)

एक अधिकृत क्लाइण्ट र को एक उभयनिष्ठ डेटाबेस में देखने, बनाने/हटाने की अनुमति डेटाबेस सर्वर देता है। डेटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम के उदाहरण - हैं- Oracle i/10sg, सर्वर MS-SQL, सर्वर 2000/2005/2008, DB2, MySQL आदि । 

5. डायरेक्ट्री सर्वर (Directory Server)

डायरेक्ट्री सर्वर, यूजर्स के सेण्ट्रल एडमिनिस्ट्रेशन (प्रशासन) तथा स्रोतों को स्वीकारता है । डायरेक्ट्री सर्वर के उदाहरण हैं-एक्टिव डायरेक्ट्री NDS (Noble Directory Service), फैडोरा डायरेक्ट्री सर्वर, ओपन LDAP आदि ।

नोड/क्लाइण्ट Node/Client 

सर्वर के अलावा नेटवर्क के अन्य सभी कम्प्यूटरों को नोड (Node) कहा जाता है। ये वे कम्प्यूटर होते हैं, जिन पर उपयोगकर्ता कार्य करते हैं। प्रत्येक नोड का एक निश्चित नाम और पहचान होती है। कुछ नोड अधिक शक्तिशाली होते हैं, ऐसे नोडों को प्रायः वर्कस्टेशन (Workstation) कहा जाता है । 'नोडों को प्रायः - क्लाइण्ट (Client) भी कहा जाता है ।

नेटवर्क केबल Network Cable 

जिन केबलों के द्वारा नेटवर्क के कम्प्यूटर्स आपस में जुड़े होते हैं, उन्हें नेटवर्क केबल कहा जाता है । सूचनाएँ, एक कम्प्यूटर से नेटवर्क के दूसरे कम्प्यूटर तक केबलों से होकर ही. जाती हैं । इनको प्राय: बस (Bus) भी कहा जाता है ।

नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम Network Operating System 

यह ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो नेटवर्क के कम्प्यूटरों के मध्य सम्बन्ध निश्चित करता है और उनके मध्य सूचना के आवागमन को नियन्त्रित करता है । यह सॉफ्टवेयर सर्वर में लोड किया जाता है ।

नेटवर्क कार्ड Network Card 

यह एक ऐसा सर्किट होता है, जो नेटवर्क केबलों को कम्प्यूटरों से जोड़ता है । इन कार्डों की सहायता से डेटा का आवागमन तीव्र होता है। ये कार्ड्स नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर के मदरबोर्ड में लगाए जाते हैं । इनको ईथरनेट कार्ड (Ethernet Card) भी कहा जाता है ।

कम्प्यूटर नेटवर्क के प्रकार Types of Computer Network 

नेटवर्कों को उनके कम्प्यूटरों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार मुख्यत: निम्न श्रेणियों में बाँटा जाता है I

1. लोकल एरिया नेटवर्क

Local Area Network-LAN ऐसे नेटवर्कों के सभी कम्प्यूटर्स एक सीमित क्षेत्र में स्थित होते हैं । यह क्षेत्र लगभग एक किलोमीटर की सीमा में होना चाहिए; जैसे-कोई बड़ी बिल्डिंग या बिल्डिंगों का समूह। लोकल एरिया नेटवर्क में जोड़े गए उपकरणों की संख्या अलग-अलग हो सकती है । इन उपकरणों को किसी प्रकार के संचार केबल द्वारा जोड़ा जाता है । लोकल एरिया नेटवर्क के द्वारा कोई संगठन अपने कम्प्यूटरों, टर्मिनलों, कार्यस्थलों तथा अन्य बाहरी उपकरणों को एक योग्य (Capable) तथा प्रभावी मूल्य (Effective Cost) विधि से जोड़ सकता है, ताकि वे आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकें तथा सबको सभी साधनों का लाभ मिल सके ।

2. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क

Metropolitan Area Network-MAN जब बहुत सारे लोकल एरिया नेटवर्क अर्थात् लैन किसी नगर या शहर के अन्दर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं, तो इस प्रकार के नेटवर्क को मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क कहा जाता है। इसकी गति 10-100 Mbits/sec होती है। ये काफी महँगे नेटवर्क होते हैं, जो फाइबर ऑप्टिक (Fiber Optic) केबल से जुड़े होते हैं। ये टेलीफोन या केबल ऑपरेटर और माइक्रोवेव लिंक द्वारा प्रदान किए जाते हैं ।

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3. वाइड एरिया नेटवर्क

Wide Area Network-WAN वाइड एरिया नेटवर्क से जुड़े हुए कम्प्यूटर्स तथा उपकरण एक-दूसरे से हजारों किलोमीटर की भौगोलिक दूरी पर भी स्थित हो सकते हैं । इनका कार्यक्षेत्र कई महाद्वीपों तक फैला हो सकता है । यह एक बड़े आकार का डेटा नेटवर्क होता है । इसमें डेटा के संचरण की दर लोकल एरिया नेटवर्क की तुलना में कम होती है । अधिक दूरी के कारण प्रायः इनमें माइक्रोवेव स्टेशनों या संचार उपग्रहों (Communication Satellites) का प्रयोग सन्देश आगे भेजने वाले स्टेशनों की भाँति किया जाता है । माइक्रोवेव नेटवर्क दो रिले टावरों के मध्य आवाज या देताको रेडियो तरंगों के रूप में भेजते हैं । प्रत्येक टावर उस सन्देश को प्राप्त करके बढ़ाता (Amplify) है और फिर आगे भेज देता है ।

लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) एवं वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) में अन्तर-


लोकल एरिया नेटवर्क (LAN)

वाइड एरिया नेटवर्क (WAN)

लैन नेटवर्क का क्षेत्र 1 किमी से अधिक का नहीं होता ।

यह नेटवर्क पूरे देश के क्षेत्र को कवर करता है ।

डेटा ट्रान्समिशन की गति 10 Mbps की होती है ।

डेटा ट्रान्समिशन की गति 1 Mbps से कम होती है ।

यह किसी भवन या ऑफिस के अन्दर ही इन्स्टॉल (Install) किया जा सकता है ।

यह विभिन्न नगरों के मध्य इन्स्टॉल (Install) किया जाता है ।

इसमें त्रुटियों की सम्भावना काफी कम होती है ।

इसमें त्रुटियों की सम्भावना काफी अधिक होती है ।


स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क State Wide Area Network-SWAN बैन (SWAN)

भारतीय सरकार की राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेन्स योजना (National Electronic Governance Plan) के अन्तर्गत माविधाएँ देने वाले घटकों में से एक है । इस नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य एक क्लोज्ड यूजर ग्रुप (Closed User Group) नेटवर्क का निर्माण करना तथा सरकार के कार्य और राज्य मुख्यालय, जिला मुख्यालय. लॉक मख्यालय को जोड़ने के लिए एक सुरक्षित और उच्च गति की कनेक्टिविटी (Connectivity) प्रदान करना है । यह प्रोजेक्ट मार्च, 2005 में स्वीकृत किया गया था ।

नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topology)

टोपोलॉजी नेटवर्क में कम्प्यूटरों को जोड़ने की भौगोलिक व्यवस्था होती है। इसके द्वारा विभिन्न कम्प्यूटर्स एक-दूसरे से परस्पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं। नेटवर्क टोपोलॉजी निम्न प्रकार की होती हैं I

(
Network Topology) 

बस टोपोलॉजी (Bus Topology)

इसे लीनियर टोपोलॉजी (Linear Topology) भी कहा जाता है । इस टोपोलॉजी में एक लम्बे केबल से युक्तियाँ (Devices) जुड़ी होती हैं, जिसे बैकबोन (Back Bone) कहते हैं। इस नेटवर्क का इन्स्टॉलेशन छोटे अथवा अल्पकालीन ब्रॉडकास्ट के लिए होता है । इस प्रकार के नेटवर्क का प्रयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है, जहाँ अत्यन्त उच्च गति के कम्युनिकेशन चैनल का प्रयोग सीमित क्षेत्र में किया जाना है ।

Advantages

इसमें नए नोड जोड़ना अथवा पुराने नोड हटाना बहुत सरल होता है ।
किसी एक कम्प्यूटर के खराब होने पर सम्पूर्ण नेटवर्क सरलता से कार्य करता रहता है ।
इसकी लागत बहुत कम होती है ।

Disadvantages
मुख्य केबल में यदि रुकावट आती है, तो पूरा नेटवर्क बन्द हो जाता है ।
बैकबोन केबल के दोनों सिरों पर टर्मिनेटरों की आवश्यकता होती है ।
यदि पूरा नेटवर्क बन्द होता है, तो इस समस्या को पहचानने में कठिनाई आती है ।
एक समय में एक ही पैकेट ट्रान्समिट हो सकता है ।

स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)

इस टोपोलॉजी के अन्तर्गत एक होस्ट कम्प्यूटर होता है, जिससे विभिन्न लोकल कम्प्यूटरों या नोड्स (Nodes) को सीधे जोड़ा जाता है, यह होस्ट कम्प्यूटर हब (Hub) कहलाता है। यदि हब खराब हो जाए, तो पूरा नेटवर्क खराब हो सकता है। इसमें किसी नोड और हब के बीच प्वॉइण्ट-टू-प्वॉइण्ट (Point-to-point) कनेक्शन होता है ।

कोई भी दो नोड केन्द्रीय (Central) कम्प्यूटर के माध्यम से ही कम्युनिकेट - करती हैं, जिससे टकराव (Collision) की समस्या नहीं होती।

लाभ Advantages

यदि कोई नोड (कम्प्यूटर) खराब हो जाए, तो शेष नेटवर्क प्रभावित नहीं होता । इस स्थिति में खराब हुए नोड (कम्प्यूटर) को ज्ञात करना सरल होता है।

एक कम्प्यूटर को होस्ट कम्प्यूटर से जोड़ने में कम लागत आती है।
लोकल कम्प्यूटर की संख्या बढ़ाने से नेटवर्क की सूचना के आदान-प्रदान की क्षमता प्रभावित नहीं होती।

हानियाँ Disadvantages

बस टोपोलॉजी की अपेक्षा अधिक लम्बाई के केबल की आवश्यकता होती है ।
यदि हब खराब हो जाता है, तो जुड़े हुए नोड्स भी बेकार हो जाते हैं ।
बस टोपोलॉजी की तुलना में अधिक मूल्यवान (Expensive) है, क्योंकि इसमें प्रयोग होने वाली डिवाइसों की कीमत अधिक होती है ।


रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)

इस टोपोलॉजी में कोई होस्ट या हब नोड नहीं होती । सभी कम्प्यूटर्स एक गोलाकार आकृति के रूप में केबल द्वारा जुड़े होते हैं । प्रत्येक कम्प्यूटर अपने अधीनस्थ (Subordinate) कम्प्यूटर से जुड़ा होता है । गोलाकार आकृति में होने के कारण इसे सर्कुलर नेटवर्क भी कहा जाता है । इस टोपोलॉजी में डेटा केवल एक दिशा में गमन (Motion) करता है और यह तब तक प्रत्येक नोड में से होकर गुजरता है, जब तक कि वह अपने गन्तव्य (Destination) पर न पहुँच जाए ।

Advantages

·यह टोपोलॉजी सभी स्टेशनों के लिए एकसमान एक्सेस उपलब्ध कराती है। नेटवर्क में अधिक स्टेशन्स होने पर भी इसका एक्जीक्यूशन (Execution) सभी स्टेशनों के लिए समान होता है ।

· इण्टरफेस एक्टिव होने के कारण रिंग की लम्बाई की कोई सीमा नहीं होती अर्थात् उसमें कितने भी स्टेशन हो सकते हैं ।

· नेटवर्क में किसी भी प्रकार के मीडियम का उपयोग किया जा सकता है ।

· इसमें डेटा में टकराव (Collision) नहीं होता, क्योंकि रिंग कई भागों में बँटी होती है ।

Disadvantages

·       यह टोपोलॉजी कुछ जटिल होती है इसलिए इसको इन्स्टॉल (Install) करना थोड़ा कठिन होता है ।

·       इसमें माध्यम (Medium) के असफल हो जाने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है ।

·       इसमें कहीं कोई समस्या (Problem) आ जाने पर, उसे ज्ञात करना कठिन होता है ।


मैश टोपोलॉजी (Mesh Topology)

इस टोपोलॉजी का प्रत्येक कम्प्यूटर, नेटवर्क में अन्य सभी कम्प्यूटरों से सीधे जुड़ा होता है । इसी कारण से इसे प्वॉइण्ट-टू-प्वॉइण्ट (Point-to-point) नेटवर्क या कम्पलीट्ली कनैक्टिड (Completely Connected) नेटवर्क भी कहा जाता है । इसके डेटा के आदान-प्रदान का प्रत्येक निर्णय कम्प्यूटर स्वयं ही लेता है ।




(Mesh Topology)

Advantages

·डिवाइसों के मध्य सम्बद्धता (Relevancy) उपयोगी होती है ।

·डिवाइसों के मध्य तारों की स्थिति के कार्य पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं होता ।

·सुरक्षा की दृष्टि से अन्य टोपोलॉजी से बहुत बेहतर होता है ।

Disadvantages

· अतिरिक्त केबलों का व्यवस्थापन (Adjustment) अत्यन्त जटिल होता है ।

·तारों (Wires) के मैश स्थिति में होने के कारण, उन्हें क्षति पहुँचने की प्रबल सम्भावना रहती है ।

ट्री टोपोलॉजी Tree Topology

यह टोपोलॉजी बस तथा स्टार टोपोलॉजी का मिश्रित रूप है। इस टोपोलॉजी में एक केबल से दूसरी केबल तथा दूसरी केबल से तीसरी केबल, किसी पेड़ की शाखाओं (Branches) की भाँति जुड़ी होती हैं, इसी कारण यह ट्री टोपोलॉजी कहलाती है। सबसे ऊपर वाले नोड को रूट नोड (Root Node) कहा जाता है तथा इससे जुड़ने वाले अन्य नोडों को चाइल्ड नोड (Child Node) कहा जाता है।


Tree Topology
Advantages

· इस नेटवर्क का विस्तार सम्भव और सरल है ।

·यह त्रुटि ज्ञात करने तथा उसमें सुधार करने के लिए सरल है ।

Disadvantages

· इसकी सम्पूर्ण मुख्य संरचना, मुख्य बस केबल पर निर्भर करती है. इसलिए यदि ये केबल टूट जाएँ या खराब हो जाएँ, तो पूरा नेटवर्क खराब हो जाता है ।

· नेटवर्क की मापनीयता (Scalability) केबल के प्रकार पर निर्भर करती है ।

डेटा संचार Data Communication 

डेटा संचार के माध्यम से दो डिवाइसिज आपस में एक-दूसरे से जुड़े होते हैं । डेटा कम्युनिकेशन के अन्तर्गत डेटा के ट्रान्सफर (Transfer), ट्रान्सफर के प्रकार और ट्रान्सफर के समय डेटा की सुरक्षा आती है। डेटा कम्युनिकेशन में डेटा अथवा सूचना की गुणवत्ता से कोई सम्बन्ध नहीं है। डेटा को सिग्नल्स के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता है। सिग्नल्स तीन प्रकार के होते हैं I

डिजिटल सिग्नल्स Digital Signals)

डिजिटल सिग्नल्स में डेटा का इलेक्ट्रॉनिक अर्थात् बाइनरी संख्याओं (0 तथा 1) के रूप में आदान-प्रदान किया जाता है ।

एनालॉग सिग्नल्स (Analog Signals)

एनालॉग सिग्नल्स में डेटा का रेडियो तरंगों के रूप में आदान-प्रदान किया जाता है। उदाहरण के लिए, टेलीफोन लाइनों में । 

हाइब्रिड सिग्नल्स (Hybrid Signals)

हाइब्रिड सिग्नल्स में एनालॉग तथा डिजिटल दोनों प्रकार के सिग्नल्स के गुण होते हैं ।

संचार चैनल Communication Channel 

दो जुड़ी हुई डिवाइसों के बीच सिग्नल भेजने की दिशा संचार चैनल कहलाती है । 


संचार चैनल के प्रकार Types of Communication Channel

संचार चैनल तीन प्रकार के होते हैं-

सिम्पलेक्स चैनल Simplex Channel

इसमें डेटा का प्रवाह सदैव एक ही दिशा में होता है अर्थात् यह चैनल केवल एक ही दिशा में डेटा का संचार कर . सकता है । इस चैनल के माध्यम से केवल एक संचार युक्ति ही सूचना को भेज सकती है, तथा दूसरी संचार युक्ति सूचना को केवल प्राप्त कर सकती है । 

उदाहरण के लिए, रेडियो और टेलीविजन ।




अर्द्ध या हाफ डुप्लेक्स चैनल Half Duplex Channel

इस चैनल में डेटा का प्रवाह दोनों दिशाओं में होता है, किन्तु एक समय में केवल एक ही दिशा में डेटा का प्रवाह हो सकता है । 

उदाहरण के लिए, वॉकी-टॉकी.(Walkie-Talkie)



पूर्ण डुप्लेक्स चैनल (Full Duplex Channel)

Full Duplex Channel


इस चैनल में डेटा का संचार दोनों दिशाओं में होता है। दोनों चैनल लगातार डेटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं  


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